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स्वदेशी जागरण मंच की पत्रकार वार्ता - पेटेंट मुक्त कोरोना वैक्सीन के लिए चल रहे राष्ट्रव्यापी अभियान की दी गयी जानकारी

 


कानपुर : पेटेंट मुक्त कोरोना वैक्सीन के लिए चलाए जा रहे राष्ट्रव्यापी अभियान की जानकारी और जनजागरूकता के उद्देश्य से स्वदेशी जागरण मंच, कानपुर महानगर इकाई द्वारा मंगलवार को पत्रकार वार्ता का आयोजन किया गया। पत्रकार वार्ता एस.एन. सेन बालिका विद्यालय पी.जी. कॉलेज, माल रोड के सभागार में कोरोना गाइडलाइन और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए अपराह्न 2 बजे से हुई। इसमें महानगर संयोजक प्रवीण मिश्रा, सचिन शुक्ला, महिला प्रमुख शालिनी कपूर, डॉ. आशीष मिश्रा ने सम्मानित पत्रकार बंधुओं के समक्ष विचार रखते हुए मंच द्वारा पेटेंट मुक्त कोरोना वैक्सीन के लिए चलाए गए डिजिटल पिटीशन सिग्नेचर कैंपेन की जानकारी दी। वक्ताओं ने बताया कि वर्तमान कोरोना महामारी की भयावहता के मध्य मंच पेटेंट मुक्त कोरोना वैक्सीन की माँग हेतु राष्ट्रव्यापी अभियान चला रहा है। इसके अंतर्गत गत माह मंच के आह्वान पर देश भर से बड़ी संख्या में कार्यकर्ताओं और आमजन द्वारा ऑनलाइन पिटीशन हस्ताक्षर कर विश्व स्वास्थ्य संगठन (डब्ल्यू.एच.ओ.) को भेजी गयी हैं। पदाधिकारियों द्वारा सम्मानित पत्रकार बंधुओं को इस अभियान के विषय में विस्तृत जानकारी दी गयी। पत्रकार वार्ता में महाविद्यालय की प्राचार्या डॉ. निशा अग्रवाल भी उपस्थित रहीं। 


इस अवसर पर महानगर संयोजक प्रवीण मिश्रा, सचिन शुक्ला, महिला प्रमुख शालिनी कपूर, डॉ. आशीष मिश्रा ने बताया कि विश्व की अधिकांश जनसंख्या आज कोरोना के संक्रमण के भय से त्रस्त है। इस संक्रमण की चिकित्सा व रोकथाम की औषधियों व टीकों पर बड़ी कम्पनियों के पेटेन्ट के कारण से सबको सुलभ नहीं है। मानव का जीवन का अधिकार, सार्वभौम मौलिक अधिकार है। कुछ कम्पनियों को पेटेन्ट से मुनाफा कमाने हेतु असीमित अधिकार देकर करोड़ों लोगों के जीवन के अधिकार पर आंच आये, ऐसा नहीं होने दिया जा सकता। इन टीकों और दवाओं को पेटेन्ट मुक्त कर इनकी टेक्नालॉजी के हस्तांतरण के लिए एक सघन अभियान चलाया जा रहा है। यद्यपि कोविड के इलाज से संबंधित कई दवाओं का स्थानीय उत्पादन हो रहा है, लेकिन समस्या की गंभीरता के कारण बढ़ती माँग को पूरा करने के लिए उपलब्ध मात्रा अत्यधिक अपर्याप्त है। इजरायल, अमेरिका, इंग्लैंड आदि जिन 6 देशों की वयस्क जनसंख्या का टीकारण हो गया है, वहाँकोरोना संकट लगभग समाप्त हो गया है। इसएि भारत सिहत विश्व की समग्र जनसंख्या ( लगभग 600 करोड़) का तत्काल टीकारण विश्यक है। इसके लिए स्वदेशी जागरण मंच ने कोविड के टीकों व औषधियों को पेटेन्ट मुक्त कर इनकी टेक्नालॉजी इनके उत्पादन में सक्षम सभी दवा उत्पादकों को सुलभ कराने की माँग करते हुए घ जन-जागरण अभियान छेड़ा है। इसके अन्तर्गत देशभर में व देश के बाहर भी टीकों व औषधियों की सर्व-सुलभता के लिए "यूनिवर्सल एक्सेस टू वैक्सीन एण्ड मेडीसिन" अर्थात् "युवम" (UAVM) के नाम से यह अभियान चल रहा है। इसमें ऑनलाईन हस्ताक्षर अभियान सहित वेबीनार, गोष्ठियों, प्रदर्शन सम्पर्क प्रचार की प्रक्रिया चल रही है। ऑनलाईन पिटीशन डिजिटल हस्ताक्षर अभियान के तहत स्वदेशी जागरण मंच, पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के 49 लों के कार्यकर्ताओं ने डेढ़ लाख (1,50,000) से अधिक डिजिटल पिटीशन हस्ताक्षर करा लिए हैं और पूरे देश में पाँच लाख (5,00,000) से अधिक डिजिटल पिटीशन हस्ताक्षर हो चुके हैं।


वक्ताओं ने बताया कि भारत में भी कम से कम 70 प्रतिशत जनसंख्या के टीकाकरण के लिए लगभग 200 करोड़ खुराक की आवश्यकता है। इस बड़े पैमाने पर उत्पादन के लिए इनकी प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण की सुविधा और इनके पेटेंट और व्यापार रहस्य सहित बौद्धिक संपदा अधिकार संबंधी बाधाओं को दूर करने के लिए अन्तरराष्ट्रीय स्तर पर उपाय करने होंगे। वैश्विक सर्वसुलभ वैक्सीन एवं दवाइयाँ अभियान के अंतर्गत देश और विदेश के विविध सामाजिक, सांस्कृतिक व सभी प्रकार के संगठनों, शिक्षण संस्थानों, प्रबुद्ध जनों शिक्षाविदों, न्यायाधीशों और सभी व्यक्तियों से सहयोग लिया जा रहा है। 28 मई, 2021 को इस संबंध में कुछ विश्वविद्यालयों, भारतीय विश्वविद्यालय संघ द्वारा एक अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का भी आयोजन किया गया था।


• भारत सरकार ने दक्षिण अफ्रीका के साथ विगत अक्टूबर में ही इन्हें पेटेंट मुक्त करने का विश्व व्यापार संगठन में जो ट्रिप्स समझौते से छूट का प्रस्ताव रखा उसका 120 देशों ने अब तक समर्थन कर दिया है। इस प्रस्ताव का विरोध कर रहे देशों/कम्पनियों/व्यक्ति समूहों से हम पुरजोर आग्रह करते हैं कि मानवता के हित में वे अविलंब इसका विरोध बन्द करें।


UVAM, विश्व व्यापार संगठन, सहित विश्व की सभी सरकारों से दृढ़तापूर्वक आग्रह करता है कि : 

• टीकों के उत्पादन को बढ़ाने के लिए सभी संभावित निर्माताओं के लिए व्यापार रहस्य सहित टीकों के प्रौद्योगिकी हस्तांतरण, कच्चे माल की उपलब्धता, व्यापार रहस्य सहित सभी सुविधाएँ सुनिश्चत की जाएँ । रेमडिसीविर, टोसीलुजुमाब और अन्य अनावश्यक दवाओं के उत्पादन और मोलनुपीरविर जैसी नई दवाओं का प्रचुरता से उत्पादन सुनिश्चित किया जाए।

• वैश्विक स्तर पर वैक्सीन और दवाइयों के पर्याप्त उत्पादन के साथ-साथ इनके मूल्यों पर प्रभावी नियंत्रण भी आवश्यक है। 

• इस हेतु WTO, G-7, G-20 और अन्य वैश्विक मंचों के माध्यम से राजनयकि प्रयासों में तेजी लायी जाए। 


डिजिटल हस्ताक्षर अभियान में अभी तक लगभग पाँच लाख से अधिक लोग इस याचिका पर हस्ताक्षर कर चुके ऐसी एक दूसरी याचिका पर भी भारत और विश्व के 20 देशों के 1600 से अधिक अउिच्च शिक्षाविदों/प्रबुद्ध नागरिकों ने हस्ताक्षर करते हुए माँग की है कि :


1. विश्व व्यापार संगठन, बौद्धिक संपदा अधिकार के प्रावधानों में छूट दें।

2. वैश्विक दवा निर्माता और वैक्सीन निर्माता कम्पनियाँ स्वेच्छा से, मानवता के लिए, अन्य निर्माताओं को प्रौद्योगिकी हस्तांतरण सहित पेटेंट मुक्त अधिकार दें।

3. सरकार पटेंट धारकों से इतर भी अन्य सभी दवा निर्माताओं को वैक्सीन व दवाइयों को बनाने का अधिकार आवश्यक प्रौद्योगिकी व उत्पादन सामग्री की उपलब्धता के लिए सभी आवश्यक कदम उठाए, उन्हें प्रोत्साहन दें।

4. कोरोना के खिलाफ लड़ने के लिए एवं वैक्सीन और दवाओं की वैश्विक उपलब्धता सुनिश्चित करने के लिए सभी देशभक्त जनता, संबंधित व्यक्ति और संगठन बढ़-चढ़कर आगे आएँ।

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