मौरवां के करदहा आत्महत्या मामले को लेकर पुलिस प्रशासन हुआ गूंगा-बहरा
मौरावां,
ब्यूरो उन्नाव: बीते महीने पहले 15 मार्च को करदहा ग्राम में एक युवती ने खुदकुशी कर ली थी, उस प्रकरण में थाना प्रशासन ने पोस्टमार्टम के आधार पर उसे हैंगिंग डेथ घोषित कर दिया था, परंतु मृतिका का पति उसके पीछे का रहस्य जानने को लेकर थाना अध्यक्ष को सूचित करता है परंतु कोई जवाब नही मिलने पर, उसने अन्य लोगो से मदद की गुहार लगाई, जैसे कि एक एक प्रार्थना पत्र मुख्यमंत्री कार्यालय, हृदय नारायण दीक्षित, अनिल सिंह व तमाम आलाधिकारियों के पास न्याय की भीख मांग रहा मृतिका का पति दर दर की ठोकरे खाने को मजबूर है।
बीते दिनों पहले बहुत दबाव के बाद पड़ताल शुरू की गई परंतु अभी तक 14 दिन तक थाना अध्यक्ष व दरोगा सीता राम कोई जांच व पड़ताल नही कर पा रहे है। और उनका कथन पीड़ित से यह है कि "दरोगा केश की जानकारी ले रहा है और दरोगा कहता है कि थाना अध्यक्ष जांच कर रहे है।"
असल दोनों लोग केवल पीड़ित को परेसान कर रहे है।
पत्नी के गुजरने के बाद बच्चों को संभालना कितना मुश्किल हो जाता है शायद यह दरोगा जी नही जानते है अगर जानते होते तो पीड़ित को इतना तहलाया न जा रहा होता ।
उन्नाव पुलिस अधीक्षक को भी इस मामले से अवगत कराया गया परंतु कोई निष्कर्ष नही निकल रहा है।
बीते दो दिन पहले आत्महत्या के लिए दुष्प्रेरित करने वाला युवक गांव का ही नितिन है जो कि आत्महत्या के बाद से पंजाब भाग गया था परंतु सूत्रों के हवाले से पता लगा है कि वह फिर से गांव में आया है।
पुलिस प्रशासन को अवगत भी कराया गया है परंतु उनके कानों में जूं तक न रेंग रही है।
"वाह रे पुलिस प्रशासन क्या है तेरी माया"
अब तो पीड़ित खुद तंग आकर खुदकुशी की बात थाना में जाकर वहीं आत्म दाह करने की बात कह रहा है क्या इस प्रकार से पुलिस लोगो की मदद करती है।
सूत्रों कि माने तो नितिन को बचाने के लिए सचिवालय से किसी बाबू का हाथ है।
कथित रूप से सामने आई बातों में यह सुनने में आया है कि नितिन के फूफा सचिवालय में काम करते है और उनके द्वारा ही यह सारा खेल रचाया गया है जिसमे कि कथित रूप से पुरवा विधायक अनिल सिंह भी आरोपी का साथ दे रहे है।
बच्चे कहते है मम्मी कब आएगी।
आज के दौर में बच्चों को इतना कम नही समझना चाहिए क्योंकि मां बाप भले ही कम पढे हो परंतु पिता बच्चों को अच्छी शिक्षा जरूर देता है।
सविता के खुदकुशी के बाद भी घर मे सन्नटा सा छाया है बच्चे घर मे अकेले होने पर अब डरते है क्योंकि उनके पिता पत्नी के न्याय के लिए दर दर भटक रहे है। फिर देर शाम पिता घर आकर बच्चों को खाना स्वयं बना कर खिलाता है।
द्विवेदी हेल्थ केयर सेंटर का रहा हाथ।
ग्राम में ही एक हेल्थ केयर सेंटर है जो कि अभियुक्त नितिन के द्वारा (खुद को डॉ बताने वाला) सत्यम द्विवेदी से सांठ घांठ करके महिला को नशीली दवाएं, ऊर्जा वर्धक दवाएं व नींद की गोलियां भी दी जाती थी हालाँकि महिला का नितिन के साथ संबंध थे लेकिन वह संबंध को लेकर इनकार करती थी परंतु बहला फुसलाकर उसके खाने व कोल्ड्रिंक में दवाएं मिला कर उससे दुष्कर्म करता रहता था।
लगातार आलाधिकारियों के पास जा जाकर पीड़ित अब थक चुका है परंतु प्रशासन का कहना है कि "हम अपने हिसाब से काम करेंगे किसी के बोलने से नही"
अगर ऐसा है तो सब कुछ जानते हुए भी पहले सीताराम दरोगा ने क्यों कार्यवाही आगे नही बढ़ाई।
यह वीडियो सम्पूर्ण मामले को दर्शाता है।
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