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देश का भाग्य तय करता है मतदाता : प्रवक्ता सर्वेश तिवारी

देश का भाग्य तय करता है मतदाता : प्रवक्ता सर्वेश तिवारी

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कानपुर।विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र माने जाने वाले भारत की चुनाव प्रणाली हमेशा कारगर और सही साबित हुई है।हर सहाय जगदम्बा सहाय इन्टर कॉलेज में प्रवक्ता और उत्तर प्रदेश माध्यमिक शिक्षक संघ चंदेल गुट के जिला संरक्षण समिति के संयोजक एवं अध्यक्ष सर्वेश तिवारी ने मतदान के अधिकार बताए उन्होंने बताया कि वैसे तो मतदान करने की उम्र 18 साल या फिर उससे अधिक उम्र के किसी भी व्यक्ति को होती है। लेकिन मतदान के प्रति जागरुकता नहीं होने की वजह से कई बार व्यक्ति अपने मताधिकार का इस्तेमाल नहीं कर पाते हैं।भारत का संविधान ही देश के नागरिक को मतदान का अधिकार देता है। हर एक भारतीय नागरिक को हर पांच साल में अपने लोकसभा,विधानसभा,नगर निकाय व पंचायत के चुनावों में अपने प्रतिनिधि चुनने का अधिकार होता है। वह अपने एक मत के दम पर एक नेतृत्वकर्ता का चयन करता है।मतदान करना भारतीय नागरिक का न सिर्फ अधिकार है बल्कि मौलिक कर्तव्य भी है। आज के समय में देखें तो किसी भी स्थान पर अगर 60 फीसदी या फिर उससे अधिक मतदान हो जाता है तो चुनाव आयोग इसे सफल मानता है। लेकिन जो लोग मतदान नहीं करते हैं उन्हें फौरी तौर पर कोई नुकसान तो नहीं होता है। मगर इसके दूरगामी परिणाम भी कोई अच्छे नहीं रहते हैं।लोकतांत्रिक प्रणाली में भारतीय नागरिक को जितने अधिकार मिलते हैं उनमें से सबसे महत्वपूर्ण अधिकार मतदान का होता है। तभी तो हमें मतदाता कहा जाता है। मतदाता का मतलब होता है- मतदान करने वाला। यानी मतदाता अगर अपने अधिकार का इस्तेमाल करें तो वह एक सरकार को बना भी सकता है और उसे गिरा भी सकता है। लेकिन महत्वपूर्ण यही है कि मतदाता अपने मताधिकार का इस्तेमाल करें।26 जनवरी 1950 को हमारा देश का संविधान लागू हो रहा था और उससे एक दिन पहले यानी कि 25 जनवरी 1950 को एक ऐसी संस्था का निर्माण किया गया था जो हमें लोकतंत्र की सबसे बड़ी ताकत मानती है।

गृह राज्य में ही मतदान कर सकते हैं ?

प्रवक्ता सर्वेश तिवारी ने बताया कि यह सवाल अक्सर हम किसी के मन में उठता है जब वह चुनाव के वक्त अपने मतदान केंद्र के आस-पास मौजूद नहीं रहता है। ऐसे में हम आपको बता दें कि देश के हर एक नागरिक को एक चुनाव में एक बार मतदान करने का अधिकार मिलता है और चुनाव आयोग हर मतदाता को एक खास निर्वाचन क्षेत्र में पंजीकृत होने का अधिकार भी देता है। ऐसे में अगर आप स्थायी तौर पर उस निर्वाचन क्षेत्र में मौजूद नहीं है तो आप अस्थायी निवास वाले स्थान पर अपना नाम वोटर लिस्ट में जुड़वा सकते हैं।लेकिन इसका मतलब यह नहीं है कि आप स्थायी और अस्थायी दोनों निवास स्थान पर वोट डाल सकते हैं।क्योंकि एक चुनाव में एक ही बार मतदान करने का अधिकार मिलता है।

मतदान का अधिकार किसे नही मिलता ?

भारतीय संविधान में इससे जुड़े कई नियम बताए गए हैं। आपको बता दें कि भारतीय दंड संहिता (IPC) की धारा 171 ई और धारा 171 एफ के तहत किए गए अपराधों के दोषी व्यक्तियों को चुनाव में हिस्सा लेने का अधिकार नहीं होता। यानि की इन लोगों को अयोग्य ठहराया जाता है।धारा 171 ई रिश्वतखोरी से संबंधित है जबकि 171 एफ जो किसी चुनाव में व्यक्ति या अनुचित प्रभाव से संबंधित है। इसके अतिरिक्त धारा 125,धारा 135 और धारा 136 के तहत अपराधों का दोषी पाया जाता है, वो भी अयोग्य माने जाते हैं।यदि कोई नागरिक एक चुनाव में एक से अधिक निर्वाचन क्षेत्र में मतदान करता है तो वह व्यक्ति भी अयोग्य माना जाता है।


रिपोर्ट :- आकाश चौधरी, वरिष्ठ पत्रकार

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